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आचार्य भरतमुनि विरचित नाटयशास्त्र में बताए गए नृत्तकरण नृत्तहस्त एवं चारी आदि प्राचीन क्रियाऍं भारतीय नाटय एवं नृत्य जगत के लिए अमूल्य निधी है